जय पराजय,यश-अपयश,मान-प्रतिष्ठा,प्रेम-क्रोध इत्यादी ये सब मानव जीवन का ही आधार हैं,वर्तमान आपाधापी के जीवन में हम धन-प्रतिष्ठा के चक्कर मैं वैदेह से हो गए हैं आज जो वास्तविक जीवन हे उस से हम दूर से होने लगे हैं रिश्ते नाते सम्बन्ध द्वतीय पंक्ति मैं आने लगे हैं क्या ये विचारणीय नहीं हे अगर हे तो आप सम्मानित अपने विचार प्रगट करें।
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