जीवन अनिश्चितता से भरा हुआ हे आप किसी भी विषय घटना को लेकर सकारात्मक तो हो सकते हो पर अंतिम नहीं आपने जीवन के अलग अलग पहलुओं को देखा होगा कई बार जिसे आप अपना अंतिम फैसला मान लेते हैं समय के अनुसार उसमे शिथिलता आ जाती हे कारण आप खुद विचार नहीं कर पाते क्योंकि आपका निर्णय तो अंतिम होता हे पर प्रकृति उसे पूरा स्वीकार करे ये संभव हे भी नहीं भी